(वही-पृष्ठ 187) सेवा मन्दिर ने 80 के दशक के प्रारम्भ में ` सामुदायिक विकास के लिये विकास योजना ' पर चर्चा कर यह निर्णय लिया कि सेवा मन्दिर लोक मांग और लोक-आवश्यकता के आधार पर जहां लोग विकास की जिम्मेदारी भविष्य में लेने को तैयार है वहीं कार्य की जरूरत के मुताबिक कार्य करे, लोगों में क्षमता का विकास करें तथा विकास के नये विकल्प लोगों के समक्ष रखे।